Sunday, 11 December 2016

हिंदी दर्द भरी शायरी

वह हमे भूल भी जाये तो कोई ग़म नहीं, 
जाना उनका जान जाने से भी कम नहीं,
जाने कैसे जख्म दिए है उसने इस दिल को, 
की हर कोई कहता है कि इस दर्द का कोई मरहम नहीं.

रोते रहे तुम भी रोते रहे हम भी, 
कहते रहे तुम भी और कहते रहे हम भी,
न जाने इस ज़माने को हमारे इश्क़ से क्या नाराज़गी थी, 
बस समझते रहे तुम भी और समझते रहे हम भी.

 जाने को तो दूर हम भी जा सकते हैं एक पल मैं तुमसे, 
 पर तुम्हारा साथ इसलिए नहीं छोड़ते
 क्योंकि तुम्हे अकेला देखकर, 
 मुझे भी अपना दर्द नजर आया था.

अश्क़ वो भी गिरने लगे हैं, 
पैग़ाम उनके भी आने लगे हैं,
 करीब आये भी वो तो आये उस वक़्त, 
जब उन्हें लगा हम उनके बिना मुस्कुराने लगे है.

किस पल तुम को याद न किया हमने, 
मेरे रोम रोम से पूछ,
मैंने अपने आप को कहाँ नहीं जलाया माँ-माँ से पूछ, 
तुझसे रूठ जाने के बाद खुद को कहाँ नहीं जलाया यह मुझसे पूछ.

मंज़िलें भी उसकी थी रास्ता भी उसका था, 
मैं अकेला था और काफिला भी उसका था,
 साथ-साथ चलने की सोच भी उसकी थी, 
फिर रास्ता बदल लेने का फैसला भी उसका था,
आज क्यों अकेला हूँ दिल सवाल करता है,
लोग तो उसके थे क्या खुद भी उसका था ?

 तक़दीर ने जैसे चाहा ढल गए हम, 
 बहुत संभल के चले फिर भी फिसल गए हम,
 हम तो किसी को भुला न सके, 
 फिर भी सबको लगा की बदल गए हम.

रोज़ तुझे ये सोच कर याद कर लेते हैं, 
की आज के बाद तुझे याद नहीं करेंगे.

 आज फिर से उदासी छाई है, 
तन्हाई मैं बैठे याद आप की आई है,
 इन पलकों को बंद कैसे कर लूं, 
इन आँखों में तस्वीर जो आप की समायी है

आपकी यादो से भर गए है हम, 
चाहत की आशा से भीग गए हम,
आप आओगे हमसे मिलने सोचकर खो गए हम, 
आप की राह देख देख कर थक गए हम.



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