मुझे अब फर्क नहीं पड़ता मौसम बीत जाने का,
उदासी मेरी फितरत है इसे मौसम से क्या लेना..
बड़े अजीब से आज कल इस दुनिया के मेले हैं,
दिखती तो भीड़ है, पर चलते सब अकेले हैं..
मुझे वक़्त गुज़ारने के लिए ना चाह कर,
मैं भी इंसान हूँ, मुझे भी तकलीफ होती है..
कैसे कहें तुम बिन रहा नही जाता,
कभी तो बिना कुछ बोले समझ लिया करो..
कह दे उसे कि अपना ख़ास ख्याल रखा करे,
बेशक साँसे उसकी हैं पर वो जान तो हमारी है..
हमने उसको बेवफा कह कर अपनी ही नज़र में गिर गया,
क्योंकि प्यार भी अपना था और पसंद भी अपनी..
सब कुछ हासिल नहीं होता ज़िन्दगी में,
किसी का अगर तो किसी का कश रह ही जाता है..
हवा से कह दो कि खुद को आज़मा के दिखाये,
बहुत चिराग बुझाती है इक जला के दिखाये..
अधूरे रहते हैं मेरे अल्फाज तेरे जिक्र के बिना,
मेरी शायरी की रूह है तू..
काश कि क़यामत के दिन हिसाब हो सब बेवफाओं का,
और वो हमसे लिपट कर कहे, की मेरा नाम मत लेना..
इस कदर तोडा है तेरी बेवफाई ने,
अब कोई प्यार से भी देखता है तो बिखर जाता हूँ मैं..
चलते चलते मुझसे पुछा मेरे पाँव के छालो ने,
बस्ती कितनी दूर बसा ली ,इस दिल में रहने वालो ने..
दर्द की दास्तान सुनाने वाले हम नहीं,
आंसू ही हमारी गिरफ्त में नहीं..
नींद भी माशूक़ बन गयी,
कमबख्त रात भर नहीं आती..
बड़े अजीब से आज कल इस दुनिया के मेले हैं,
दिखती तो भीड़ है, पर चलते सब अकेले हैं..
उदासी मेरी फितरत है इसे मौसम से क्या लेना..
बड़े अजीब से आज कल इस दुनिया के मेले हैं,
दिखती तो भीड़ है, पर चलते सब अकेले हैं..
मुझे वक़्त गुज़ारने के लिए ना चाह कर,
मैं भी इंसान हूँ, मुझे भी तकलीफ होती है..
कैसे कहें तुम बिन रहा नही जाता,
कभी तो बिना कुछ बोले समझ लिया करो..
कह दे उसे कि अपना ख़ास ख्याल रखा करे,
बेशक साँसे उसकी हैं पर वो जान तो हमारी है..
हमने उसको बेवफा कह कर अपनी ही नज़र में गिर गया,
क्योंकि प्यार भी अपना था और पसंद भी अपनी..
सब कुछ हासिल नहीं होता ज़िन्दगी में,
किसी का अगर तो किसी का कश रह ही जाता है..
हवा से कह दो कि खुद को आज़मा के दिखाये,
बहुत चिराग बुझाती है इक जला के दिखाये..
अधूरे रहते हैं मेरे अल्फाज तेरे जिक्र के बिना,
मेरी शायरी की रूह है तू..
काश कि क़यामत के दिन हिसाब हो सब बेवफाओं का,
और वो हमसे लिपट कर कहे, की मेरा नाम मत लेना..
इस कदर तोडा है तेरी बेवफाई ने,
अब कोई प्यार से भी देखता है तो बिखर जाता हूँ मैं..
चलते चलते मुझसे पुछा मेरे पाँव के छालो ने,
बस्ती कितनी दूर बसा ली ,इस दिल में रहने वालो ने..
दर्द की दास्तान सुनाने वाले हम नहीं,
आंसू ही हमारी गिरफ्त में नहीं..
नींद भी माशूक़ बन गयी,
कमबख्त रात भर नहीं आती..
बड़े अजीब से आज कल इस दुनिया के मेले हैं,
दिखती तो भीड़ है, पर चलते सब अकेले हैं..
According to Stanford Medical, It's in fact the one and ONLY reason this country's women get to live 10 years longer and weigh an average of 42 pounds less than us.
ReplyDelete(And actually, it has NOTHING to do with genetics or some secret-exercise and EVERYTHING about "how" they are eating.)
P.S, What I said is "HOW", and not "WHAT"...
Tap this link to determine if this little quiz can help you find out your true weight loss possibilities